ॐ श्री गणेशः नमः ॐ
जय श्री राम
यह पुस्तक " बागेश्वर धाम की दिव्य शक्तियों का रहस्य " में आपको पंडित श्री धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री जी के जीवन से जुड़ी कुछ घटनाओ का वर्णन मिलता है और साथ ही उनके परिवार के बारे में कुछ जानकारी मिलती है यह पुस्तक पूणर्तः सत्य सनातन धर्म का गौरव और महिमा का वर्णन के साथ दिव्य चमत्कारों का भी वर्णन करती है| हम सभी धर्मो का सम्मान करते है इस पुस्तक का उद्देश्य किसी धर्म और संस्थान और आहात पहुंचना नहीं है |
बागेश्वर धाम में होने वाले चमत्कार के पीछे का क्या कारण है चमत्कार कैसे होते है? इसका उल्लेख का पुस्तक में मिलता है|
इस पुस्तक में आपको कुछ घटनाये और उल्लेख स्वामी विवेकानंद की पुस्तक " राजयोग " और आचार्य श्री राम शर्मा की पुस्तक " मन की प्रचंड शक्तियां " से ली गई जो बागेश्वर धाम और धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की शक्तियां की पुस्टि करती है इस पुस्तक में सम्मलित कुछ घटनाये और विवरण इंटरनेट के माध्यम से लिया गया है यह पुस्तक आपको विज्ञानं और अधयात्म की बीच में समन्वय बताती है और अपने अंदर की सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड होने की अनुभूति कराती है | इसकी के साथ मैं मोहित रजक अपने गुरु के श्री चरणों में इस पुस्तक को समर्पित करता हूँ |
जय बागेश्वर धाम
मोहित रजक
अनुक्रमणिका
अध्याय -1 बागेश्वर धाम
अध्याय -2 धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री एवं उनका संघर्ष
अध्याय -3 दिव्य दरबार
अध्याय -4 शास्त्री जी को दिव्य शक्तिया कैसे मिली थी ?
अध्याय -5 भारत के चमत्कारी संत
अध्याय -6 स्वामी विवेकानंद ने दी दिव्य शक्तियों को प्रमाणिकता
अध्याय-7 चमत्कार के पीछे विज्ञान या भगवान्
अध्याय -8 मानव मन की अनंत क्षमताये
अध्याय-9 खुद में दिव्यता का प्रसार करे
अध्याय- 10 ॐ तत्त्वमसि, 'वह ब्रह्म तुम्हीं हो।
बागेश्वर धाम सरकार
जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई।
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया, तिनके ह्रदय बसहु रघुराया।
प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित सात करोड़ मंत्रों में श्री हनुमान जी की पूजा का विशेष उल्लेख मिलता है। श्री रामभक्त, रूद्र अवतार सूर्य-शिष्य, वायु-पुत्र, केसरी नन्दन, श्री बालाजी के नाम से प्रसिद्ध श्री हनुमान जी समूचे भारत वर्ष में पूजे जाते है। माता अंजनि के गर्भ से प्रकट हनुमान जी में पाँच देवताओं का तेज समाहित है। “अजर-अमर गुणनिधि सुत होहु“ यह वरदान माता जानकी जी ने हनुमान जी को अशोक वाटिका में दिया था। स्वंय भगवान श्रीराम ने कहा था कि-
’सुन कपि तोहि समान उपकारी, नहि कोउ सुर, नर, मुनि, तनुधारी’।
बल और बुद्धि के प्रतीक हनुमान जी राम और जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। अतुलनीय बलशाली होने के फलस्वरूप इन्हें बालाजी की संज्ञा दी गई है। सभी भक्त अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं की उपासना करते है। परन्तु इस युग में भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार हनुमान जी को सबसे ज्यादा पूजा जाता है। यही कारण है कि हनुमान जी को कलयुग का जीवंत देवता कहा गया है।
सनातन का अर्थ है। जो शाश्वत हो। सदा के लिए सत्य हो। जिन बातों का शाश्वत महत्त्व हो। वही सनातन कही गई है। जैसे सत्य सनातन है। ईश्वर ही सत्य है। आत्मा ही सत्य है। मोक्ष भी सत्य है। सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन है।
वह सत्य जो अनादि काल से चला आ रहा है। जिसका कभी भी अंत नहीं होगा। वही सनातन या शाश्वत है। जिनका न प्रारंभ है। जिनका नाम अंत है। उस सत्य को ही सनातन कहते हैं। यही सनातन धर्म का सत्य है। ईश्वर के सर्वज्ञानी, सर्वव्यापी एवं सर्वशक्तिमान तत्व का प्रकट स्वरूप अर्थात संत।
संत सर्वज्ञ एवं सर्वशक्तिमान होते हैं। जिन्होंने प्रचंड साधना कर, ईश्वर से एकरूपता साध्य कर ली है। उन्हें संत कहते हैं। ऐसे ही सोशल मीडिया पर बागेश्वर धाम बालाजी सरकार छाए हुए हैं। जो आज देश के युवा और चर्चित संतो में से एक हैं। कुछ दिव्य शक्तियों की भी बात, उनके साथ जोड़कर की जाती है।
निश्चित तौर पर भारत, जिस तरह का देश है। यहां संतो के अद्भुत स्वरूप और उनके वांग्मय (eloquent) की चर्चा निश्चित रूप से होती है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी जो मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैं। छतरपुर के समीप बागेश्वर धाम है। जिससे वे जुड़े हैं। बहुत ही कम समय में, उनकी चर्चा न सिर्फ देश में, बल्कि विदेश में भी होती है।
अध्याय -1
बागेश्वर धाम
भगवान श्री राम के परम भक्त श्री हनुमान जी को गढ़ा छतरपुर में बागेश्वर बालाजी के नाम से जाना जाता है बागेश्वर धाम मंदिर एक पुराना चमत्कारिक मंदिर है। यह मंदिर मध्यप्रदेश के छतरपुर के पास बागेश्वर धाम में स्थित है और यह बालाजी का मंदिर है। यहां पर हनुमानजी के सामने ही महादेवजी का मंदिर है। बागेश्वर धाम मंदिर भगवान बालाजी का मंदिर है। ये छतरपुर जिले के खजुराहो पन्ना रोड पर मौजूद गंज नाम के छोटे से कस्बे से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। 20 30 साल पहले करीब 1986 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। उसके बाद यह मंदिर काफी प्रसिद्ध होता चला गया। वर्ष 1987 में वहां संत सेतु लालजी महाराज का आगमन हुआ। ये आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादाजी थे। उसके बाद वर्ष 2012 में श्रद्धालुओं की समस्या का निराकरण करने के लिए दरबार का शुभारंभ हुआ। उसके बाद वर्ष 2016 में बागेश्वर धाम में भूमि पूजन हुआ और फिर भगवान बालाजी का यह धाम समस्याओं के निराकरण के लिए प्रसिद्ध हो गया।
बालाजी के दुनिया भर में अनेको मंदिर मौजूद है। बागेश्वर बालाजी के मंदिर में भूत प्रेत की बाधाओं को दूर किया जाता है। और अनेक प्रकार के रोगो का भी निवारण यहाँ पर होता है। जिसका चमत्कार आप यहाँ आकर देख सकते है।
बालाजी के इस धाम में मंगलवार को भक्तों की भीड़ उमड़ती है और लोग बालाजी के दरबार में अपनी अर्जी लगाते हैं। बागेश्वर धाम में पर्ची लगाने की प्रक्रिया बेहद सरल
है। यहां आपको एक पर्ची पर अपनी समस्या लिखकर उसे लाल कपड़े में नारियल के साथ बांधकर यहां परिसर में रखना होता है। यहां पर आपको लाल, पीले और काले कपड़े में बंधे हुए नारियल मिल जाएंगे। इसके पीछे की वजह यह है कि अगर आपकी अर्जी सामान्य है तो और लाल कपड़े में नारियल बांधें, अगर शादी-विवाह से जुड़ी अर्जी है तो नारियल को पीले कपड़े में बांधें और अगर अर्जी प्रेत बाधा से जुड़ी है तो नारियल को काले कपड़े में बांधें। इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि अगर आप यहां आकर ऐसा नहीं कर सकते तो अपने घर पर ही पूजास्थल में नारियल के साथ अपनी अर्जी लगा सकते हैं। ऐसा विश्वास है कि घर पर लगी अर्जी भी बालाजी सुन लेते हैं।
इसी प्रकार बालाजी का एक मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर नामक एक पावन स्थान है। इस स्थान पर हनुमान जी अपने बाल रूप में विराजमान हैं। मेहंदीपुर बालाजी में हनुमान जी प्रधान देव हैं और श्री भैरव बाबा और श्री प्रेतराज सरकार बालाजी महाराज के सहायक देव हैं। बालाजी महाराज के दरबार के ठीक सामने ही श्री राम जी और माता सीता का भव्य मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि श्री बालाजी महाराज सदैव प्रभु श्री राम और माता सीता के दर्शन करते रहते हैं।
भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति इधर आने से ही ठीक हो जाता है। हनुमान चालीसा में इस बात का वर्णन भी है भूत- प्रेत निकट नहीं आवें, महावीर जब नाम सुनाएं। जहां हनुमान जी होते हैं वहां पर भूत-प्रेत नहीं आते हैं। मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन मात्र से सभी तरह के संकट कट जाते हैं।
अध्याय- 2
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री एवं उनका संघर्ष
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी का व्यक्तित्व बहुत भी सरल स्वाभाव का है उनके चेहरे पर एक तेज है ,वो बहुत ही गहन बातो को भी सहजता और आम लोगो की बोली में कहते है, लोग उनकी कथा को बड़े आनंद के साथ सुनते है लोगो के दिलो में शास्त्री जी के प्रति अद्भुत प्रेम है , शास्त्री जी बहुत भी भाव ही कथा सुनाते है लोग उनकी सीधी बोली और सरल व्यक्तित्व के कायल है , शास्त्री जी जहां भी जाते है वही पर लोगो की भीड़ लग जाती है शास्त्री जी भी किसी को निराश रही करते वह सब से प्रेम पूर्वक मिलते है सदैव चेहरे पर एक मुस्कान लिए लोगो का अभिवादन करते है।
धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री का जनम भारत के हृदय प्रदेश ( मधय प्रदेश ) के छतरपुर जिले के गढ़ा ग्राम के एक ब्राहण परिवार में हुआ है शास्त्री जी NE अपना बचपन बहुत गरीबी में अपना जीवन गुजारा है. धीरेंद्र शास्त्री APNE भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उन्होंने बताया कि पिताजी कुछ करते नहीं थे, इस वजह से उन्होंने 8 साल तक भीख मांगकर जीवन यापन किया.
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि बचपन से ही उनकी तिलक लगाने की आदत थी, लेकिन स्कूल के कुछ बच्चे जबरन उनके बाल पकड़कर तिलक मिटा देते थे. वह विरोध नहीं कर पाए, क्योंकि गरीब घर से आते थे. त्योहारों के समय भी दोस्त नए कपड़े पहनते थे, लेकिन उनके पास केवल एक ही कपड़ा होता था.
धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत के पाठ के लिए उन्हें वृंदावन आना था, लेकिन किराये के भी पैसे नहीं थे. जब उन्होंने मदद के लिए गांव वालों से बात की तो किसी ने उन्हें उधार नहीं दिया. लोग सोचते थे कि अगर पैसे दे दिये, तो लौटा नहीं पाएगा. इस वजह से वह वृंदावन नहीं जा पाए,
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि उनकी मां कहती थीं कि घर से निकलना तो मुस्कुराते चेहरे के साथ निकलना, कोई यह न समझे कि हम भूखे. हैं. क्योंकि भगवान हमारे साथ है. मां के इस विश्वास ने रंग दिखाया और आज बागेश्वर धाम में हर दिन नि:शुल्क भंडारा आयोजित होता है. धीरेंद्र शास्त्री बोले कि जब उनकी जेब में पैसे नहीं थे, तो उन्होंने यह सोचा था कि जिस दिन 2 रुपये भी आएंगे, वह गरीब को भोजन करा देंगे. एक आज का दिन है जब बागेश्वर धाम में हर महीने 70-80 हजार लोगों को नि:शुल्क भोजन मिलता है.
अपने पुराने घर की ओर इशारा करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 'त्योहार की यादें और उसकी विचित्रता इसी गली से जुड़ी हुई है। त्योहार के दिन हम अपने घर के बाहर आकर बैठ जाते थे। दिवाली के दिन लोग पटाखे जलाते थे, बहुत शोर-शराबा होता था। तब हम पांचों लोग बैठकर रोते थे। हम रोते थे कि काश हमारे पास पैसे होते तो हम भी पटाखे जला रहे होते। यह दर्द हमने महसूस की। इसीलिए हमने अपने यहां भंडारा शुरू किया। यह दुनिया अजीबो-गरीब है..हंसाने वाला अक्सर अकेले में रोता है।' अपने पुराने दिनों के बारे में बताते हुए धीरेंद्र शास्त्री की आंखों में आंसू आ JATE HAI .
श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के परिवार में कुल 5 सदस्य हैं। धीरेन्द्र शास्त्री जी के पिता श्री राम करपाल गर्ग और माता सरोज गर्ग है। इनके दादाजी श्री भगवान दास गर्ग हैं। शास्त्री जी के एक छोटे भाई शालिग्राम गर्ग और एक बहन रीता गर्ग है।
महाराज धीरेन्द्र कृष्ण अपने बचपन में की अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने दादा जी की सहायता से अपने गांव के एक स्कूल से प्राप्त की। लेकिन प्रारंभिक के बाद उन्हें पढ़ने के लिए उन्हें उनके गांव से 5 किलोमीटर दूर जा कर दूसरे स्कूल में पढ़ना पड़ा। हाई स्कूल पढ़ने के बाद वे कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से बीए कंप्लीट किया।
लेकिन पढ़ाई में ज्यादा मन ना लगने के कारण उन्होंने अपनी पढाई छोड़ दी और बाकि बची आध्यात्मिक शिक्षा उन्होंने ने अपने दादाजी से ली जैसे की : महाभारत, रामायण, भागवत कथा और पुराण महाकाव्य की शिक्षा। और वही बागेश्रवर मंदिर में दरबार लगाना शुरू किया दिया। जिसके परिणामस्वरूप वे हनुमान जी की साधना में और ज्यादा ध्यान देने लगे और कम उम्र में ही सिद्धि को प्राप्त कर लिया।
धीरेन्द्र जी के दादाजी बहुत साल समय से बागेश्वर धाम में दरबार लगाया करते थे और उन्ही को देख के महाराज धीरेन्द्र जी के अंदर इसकी आस्था जागी और वे अपने ही दादाजी के दरबार में अर्जी लगाई। वे अपने परिवार की हालत देखकर उनसे इससे छुटकारा की अर्जी लगायी। जिसके बाद उनके दादा जी ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया। शिष्य बनाने के बाद इन सिद्धियों की शिक्षा प्राप्त की और बाग्शेवर धाम की सेवा करनी शुरू कर दी।
शास्त्री जी के परम मित्र का नाम शेख मुबारक है, जिन्होंने हर मुश्किल वक्त ने बाबा बागेश्वर का साथ दिया , शेख मुबारक ने बागेश्वर बाबा की बहन की शादी कराने में मदद की।
दोनों की मुलाकात की कहानी काफी दिलचस्प है, दोनों अलग-अलग धर्मों से आते हैं जब एक बार शेख मुबारक हो सनातन धर्म से जुड़े हुए कुछ भ्रम हुए तब उन्होंने बागेश्वर धाम से चर्चा करना जरूरी समझा।
बागेश्वर धाम ने शेख मुबारक के सभी संदेह को दूर किया, दोनों ने अपने अपने धर्मों पर खूब बातें की और यहीं से इनकी गहरी दोस्ती हो गई। बाबा बागेश्वर धाम कथा के दौरान अपने परम मित्र का नाम अक्सर लेते रहते हैं
धीरेन्द्र शास्त्री जी के गुरु
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने शास्त्री जी को दीक्षा दी है। शास्त्री जी जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी को साक्क्षात भगवान् का स्वरुप मानते है जगद्गुरु रामभद्राचार्य एक हिंदू धर्मगुरु, शिक्षक, संस्कृत के विद्वान, बहुभाषाविद, लेखक, पाठ्य टिप्पणीकार, दार्शनिक, संगीतकार, गायक, नाटककार हैं. रामभद्राचार्य भारत के चार प्रमुख जगद्गुरु में से एक हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने अयोध्या में राम मंदिर होने के प्रमाण कोर्ट को दिए थे |
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को मिले सम्मान–
साल 2022 में पण्डित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी को 3 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जून 2022 में ब्रिटेन दौरे पर इन्हें संत शिरोमणि पुरस्कार के साथ साथ वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन और वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप नामक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
14 जून 2022 के दिन पण्डित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को यह तीनों पुरस्कार ब्रिटिश संसद द्वारा दिए गए जिस दौरान पूरा संसद जय श्री राम के नारों से गूंज उठा।
संत शिरोमणि
वर्ल्ड बुक ऑफ़ लन्दन
वर्ल्ड बुक ऑफ़ यूरोप